Shanidevta
प्रथम भाव मे शनि
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शनि मन्द है और शनि ही ठंडक देने वाला है,सूर्य नाम उजाला तो शनि नाम अन्धेरा,पहले भाव मे अपना स्थान बनाने का कारण है कि शनि अपने गोचर की गति औ...
दूसरे भाव में शनि
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दूसरा भाव भौतिक धन का भाव है,भौतिक धन से मतलब है,रुपया,पैसा,सोना,चान्दी,हीरा,मोती,जेवरात आदि,जब शनि देव दूसरे भाव मे होते है तो अपने ही परिव...
तीसरे भाव में शनि
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तीसरा भाव पराक्रम का है,व्यक्ति के साहस और हिम्मत का है,जहां भी व्यक्ति रहता है,उसके पडौसियों का है.इन सबके कारणों के अन्दर तीसरे भाव से शनि...
चौथे भाव मे शनि
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चौथे भाव का मुख्य प्रभाव व्यक्ति के लिये काफ़ी कष्ट देने वाला होता है,माता,मन,मकान,और पानी वाले साधन,तथा शरीर का पानी इस शनि के प्रभाव से गं...
पंचम भाव का शनि
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इस भाव मे शनि के होने के कारण व्यक्ति को मन्त्र वेत्ता बना देता है,वह कितने ही गूढ मन्त्रों के द्वारा लोगो का भला करने वाला तो बन जाता है,ले...
षष्ठ भाव में शनि
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इस भाव मे शनि कितने ही दैहिक दैविक और भौतिक रोगों का दाता बन जाता है,लेकिन इस भाव का शनि पारिवारिक शत्रुता को समाप्त कर देता है,मामा खानदान ...
सप्तम भाव मे शनि
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सातवां भाव पत्नी और मन्त्रणा करने वाले लोगो से अपना सम्बन्ध रखता है.जीवन साथी के प्रति अन्धेरा और दिमाग मे नकारात्मक विचारो के लगातार बने रह...
अष्टम भाव में शनि
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इस भाव का शनि खाने पीने और मौज मस्ती करने के चक्कर में जेब हमेशा खाली रखता है.किस काम को कब करना है इसका अन्दाज नही होने के कारण से व्यक्ति ...
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